
बिसराम के दू गो कविता
आजु मोरी घरनी आजु मोरी घरनी निकरली मोरे घर से, मोरा फाटि गइले आल्हर करेज। राम नाम सत सुनि मैं गइलों बउराई, कवन रछसवा गइल रानी के हो खाई।...
आजु मोरी घरनी आजु मोरी घरनी निकरली मोरे घर से, मोरा फाटि गइले आल्हर करेज। राम नाम सत सुनि मैं गइलों बउराई, कवन रछसवा गइल रानी के हो खाई।...
अइले बसन्त महँकी फइललि बाय दिगन्त, भइया धीरे-धीरे बहेली बयारि। फुलैले गुलाब, फुलै उजरी बेइलिया, अमवाँ के डरियन पर बोलैली कोइलिया। बोलै...
आजु मोरी घरनी निकरली मोरे घर से, मोरा फाटि गइले आल्हर करेज। राम नाम सत सुनि मैं गइलों बउराई, कवन रछसवा गइल रानी के हो खाई। सुखि गइलें आंसु...
अइले बसन्त महँकी फइललि बाय दिगन्त, भइया धीरे-धीरे बहेली बयारि। फुलैले गुलाब, फुलै उजरी बेइलिया, अमवाँ के डरियन पर बोलैली कोइलिया। ...
आजु मोरी घरनी निकरली मोरे घर से, मोरा फाटि गइले आल्हर करेज। राम नाम सत सुनि मैं गइलों बउराई, कवन रछसवा गइल रानी के हो खाई॥ ...