मुश्किल बा - गोपाल अश्क

मुश्किल बा
मन के समझावल
आगे-पीछे
दउड़ल-धावल
आ/मुश्किल बा
रुकल-थथमल
चलत राह में
अचके पंजरल।

राह
चलत जाईं अकेला
मिले पत्थर
भा/मिले ढेला
जन करीं/परवाह तनिक भी
जन धरीं/धाह आह तनिक भी।

भगजोगनी
ह/खुशी भक से
बिला जाला
आके ई अचके
दुख
जीवन ह/साथ निभावे
बन परछाई
संगे-संग धावे
लिखल/बेलिखल
बात पढ़ेला
होला
दिल में हलचल।
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