
पाण्डेय कपिल के दू गो कविता
बूँद भर पानी बूँद भर पानी के खातिर मन तरस के रह गइल उमड़ के आइल घटा हालत प हँस के रह गइल॥ जब कि पथरा गइल कब से ई नजरिया हार के आज उकठ...
बूँद भर पानी बूँद भर पानी के खातिर मन तरस के रह गइल उमड़ के आइल घटा हालत प हँस के रह गइल॥ जब कि पथरा गइल कब से ई नजरिया हार के आज उकठ...
खोल द दुआर, भोर हो गइल। किरिन उतर आइल, आ खिड़की के फाँक से धीरे से झाँक गइल, जइसे कुछ आँक गइल, भीतर से बन्द बा केंवाड़ी त बाहर के साँ...
बूँद भर पानी के खातिर मन तरस के रह गइल उमड़ के आइल घटा हालत प हँस के रह गइल॥ जब कि पथरा गइल कब से ई नजरिया हार के आज उकठल काठ पर सावन ब...
पाण्डेय कपिल जी भोजपुरी एगो बहुते बढ़िया कवि हवीं। उँहा के जिनगी के तरह-तरह के अनुभवन के अपना ढंग से देख के सुभाव बा औरी ओही के सबका तक पह...
पाण्डेय कपिल जी भोजपुरी एगो बहुते बढ़िया कवि हवीं। उँहा के जिनगी के तरह-तरह के अनुभवन के अपना ढंग से देख के सुभाव बा औरी ओही के सबका तक ...
पाण्डेय कपिल जी भोजपुरी एगो बहुते बढ़िया कवि हवीं। उँहा के जिनगी के तरह-तरह के अनुभवन के अपना ढंग से देख के सुभाव बा औरी ओही के सबका तक ...
पाण्डेय कपिल जी भोजपुरी एगो बहुते बढ़िया कवि हवीं। उँहा के जिनगी के तरह-तरह के अनुभवन के अपना ढंग से देख के सुभाव बा औरी ओही के सबका तक ...