लिखली बहुत हम गीत
उ गीत ना भइल
गवलन हजारों लोग
संगीत ना भइल।
चाहत रहे जे प्यार के
उ, प्यार ना मिलल
खोजनी जवन बहार उ
वहार ना मिलल।
मिलल जवन उधारी
उ प्रीत ना भइल।
सपना देखा के काहे
मुंह फेर चल देलऽ
अकसर रोआ के रात में
करवट बदल देल
कंकर करीं भरोसा
कोई मीत ना भइल
असरा के मोती टूटके
जब चूर हो गइल
सेनूर भरल भी मांग
जब मजबूर हो गइल
जेकरा के जननी आपन
ऊ हीत ना भइल।
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गायत्री सहाय
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