हम रोज निहारीला रहिया - अम्बिकादत्त त्रिपाठी 'व्यास'
हम रोज निहारीला रहिया हम रोज बहारीला अँगना, जब-जब भी बयरिया सँसरेले अचके में खनखि जाला कँगना। तस्वीर बना के हृदया में दुनिया से छिपा रखल...
हम रोज निहारीला रहिया हम रोज बहारीला अँगना, जब-जब भी बयरिया सँसरेले अचके में खनखि जाला कँगना। तस्वीर बना के हृदया में दुनिया से छिपा रखल...