
पं. व्रतराज दुबे 'विकल' के चार गो कविता
भारत आपन देस महान मूड़ी लमहर ऊंच हिमालय महादेव के हs देवालय दहिना हंथवा धाम दुअरिका बायां हथवा हs अरुनालय हिया बीच हिलकोरे गंगा खतमावे सब...
भारत आपन देस महान मूड़ी लमहर ऊंच हिमालय महादेव के हs देवालय दहिना हंथवा धाम दुअरिका बायां हथवा हs अरुनालय हिया बीच हिलकोरे गंगा खतमावे सब...
येक रात के बात हऽ रहीं कहीं हम जात। येगो बुढ़िया से भइल रस्ता में मुलकात।।१।। सुबहित कपड़ा के बिना लागत रहे भिखार। बिलख-बिलख रोअत रहे रह-र...
विनती करिने हमू माई सुरसती जी के। विदया के देवी बुधिमती महारानी के।। सुमती कुमती सब गति के सम्हारेवाली। हंस असवार महतारी वीनापानी के।। द...
दिन में भइल अन्हरिया बाटे अइसन घिरल बदरिया बाटे बाटे रोअत आज अंजोरिया बकुलो लउकत करिया बाटे धरम-करम सब धोखा खाता थर-थर कांपेला ईमान। जगबs ...
मूड़ी लमहर ऊंच हिमालय महादेव के हs देवालय दहिना हंथवा धाम दुअरिका बायां हथवा हs अरुनालय हिया बीच हिलकोरे गंगा खतमावे सब पाप निसान। भारत आपन...
हवे धरती के सोना हमार माटी। बादर जल ढारे आवे सूरज आरती दिखावे हउआ बेनिया डुलावे जोन्ही झलरी लगावे रात बिहंसे ले टिकुला लिलार साटी। हवे धरत...
भोजपुरी के पुरातन धरती चंपारण पर बाल्मीकि नगर निवासी भोजपुरी के वयोवृद्ध कवि भोजपुरी भाषा में पहिलका महाकाव्य पं. व्रतराज विकल द्वारा ...