केवट के अराधना - विद्या शंकर विद्यार्थी

जीए के इहे आधार बाटे, रोजी इहे रोजगार बाटे 
हे दीनानाथ दया कर दीं, नइया आइल मझधार बाटे

रोजे देखलीं रोजे पानी, सोचे के भइल आज हैरानी 
लागता पार अब लागी ना, धार बाटे एतना जानी 
मोसकिल में जिया हमार बाटे, नइया ....।

पता ना का ई कहानी बा, नइया के बात पुरानी बा
भार के पार ना लागी का, भइल कवनो नादानी बा 
एतना जे आजू जुआर बाटे, नइया ....।

ना स्वाभिमानी हईं हमहूँ, ना अभिमानी हईं हमहूँ 
रउरे किरिपा से चलींला, ना कि गुमानी हईं हमहूँ 
रउरा हाथ में ना सनसार बाटे, नइया ...।

जगत के जे पार लगावेला, से काहे आज बिसरावेला 
विनती बानीं एतना करत, काहे ना साध पुरावेला
का होई ई परीछा हमार बाटे, नइया ...।
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लेखक परिचयः
C/o डॉ नंद किशोर तिवारी
निराला साहित्य मंदिर बिजली शहीद
सासाराम जिला रोहतास ( सासाराम )
बिहार - 221115
मो 0 न 0 7488674912

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