केवट के आग्रह - विद्या शंकर विद्यार्थी

बाटे कठवतिया में पनिया जी, 
चरनिया ना काहे नाथ धोआईंला 
कहत नइखीं कुछउ बचनिया जी, 
बोलीं ना नाथ काहे मुसुकाईंला....। 

केहू गरियावल किया घरवा तेअगलीं 
किया कवनो बैरी से बले जी लगलीं
संगवा बाड़ी एक जननिया जी, बोलीं....।

राजा के लइकवा हईं लिलरा बतावता 
तपसी के भेषवा ना कइसे जी भावता 
तीन तीन बानी नू परनिया जी, बोलीं....।

बड़ी सनजोगवा से पँउआ जी धोआला 
हियवा हमार नाथ जानीं आज अगराला 
अब नइखे जइसे हलकनिया जी, बोलीं...। 

धीरे धीरे नदी तीरे नदी तीरे धीरे धीरे 
जलवा बा शांत नाथ केहू ना निरखी फिरे 
देरी जन लगायीं दी चरनिया जी, बोलीं...।
---------------------------
लेखक परिचयः
C/o डॉ नंद किशोर तिवारी
निराला साहित्य मंदिर बिजली शहीद
सासाराम जिला रोहतास ( सासाराम )
बिहार - 221115
मो 0 न 0 7488674912

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

मैना: भोजपुरी साहित्य क उड़ान (Maina Bhojpuri Magazine) Designed by Templateism.com Copyright © 2014

मैना: भोजपुरी लोकसाहित्य Copyright © 2014. Bim के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.