तप कहल जाई तोहार कि आत्मा के आत्मग्लानि
कहऽ उर्मिला अपने सबद में आपन कुछ कहानी
राम के साथ लखन वन गइले हित तिकले भाई के
ना अइसन चाहत रहे आ गलती ठहरइलन माई के
माईके हठ बस हठ रहल आ भरत के भला तिकली
दसो बार समुझावल गइल आ दसो बार झिझकली
कैकयी के अपत तिक के भाई के साथ हो गइलन
बोलऽ उर्मीला बोलऽ आन प तोहरा के न छो गइलन
आन! कइसन आन कवि, मरद के मरदांव ह छवि
नारी बस नारी हई, नारी के ह बस वियोग के छवि?
ठाढ़ रह गइल परतिछा में चउदह बरिस निमन ह
कवि, कनखियो से ना कुछ कहलन, भला निमन ह।
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C/o डॉ नंद किशोर तिवारी
निराला साहित्य मंदिर बिजली शहीद
सासाराम जिला रोहतास ( सासाराम )
बिहार - 221115
मो 0 न 0 7488674912
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