कैकयी (कौशल्या के कुछ कहला पर) - विद्या शंकर विद्यार्थी

दाव दाव के बात ह घात एकरा के मानेलु
सता छिनाइल जनलु त हमरा के पहचानेलु

हमरा बेटा के राज मिलल तिकताड़ु तिकऽ
समय समय के बात हउए हिकताड़ु हिकऽ 

अरवा चाउर सब दिना अब उसिना ना ढुकी
तोहरा कहे से पुत हमार गद्दी ना लिही रूकी

भोर के प्रथम बेर में चिरईं काल्ह बोलिहनसँ
ढेर दिनके जबदल कंठ डाले डाले खोलिहनसँ 

कहीं हिरना कुलांच मारी भरत के सोझा देख 
जौन ना विधि लिख सकले माई लिखली रेख 
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लेखक परिचयः
C/o डॉ नंद किशोर तिवारी
निराला साहित्य मंदिर बिजली शहीद
सासाराम जिला रोहतास ( सासाराम )
बिहार - 221115
मो 0 न 0 7488674912

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