कौशल्या के संवेदना - विद्या शंकर विद्यार्थी

का कइलु ए बहिन तूँ का कइलु
कवन आग घर में तूँ लगा गइलु

मांगे के रहे राज बेटाके मांग लेतू 
दूगो रोटी ना दिहतू पेट दाग देतू

हमरा बेटा के भेजत बाड़ू वन में 
कवन भावना रहे ई तोहरा मन में 

लइका जात मिलजुल ऊ रहलनसँ
रोटी घटल इहो ना कबो कहलनसँ

राम के मन में खोंट कबो त रहे ना 
भाई - भाई में मोट कबो त रहे ना 

भरत के सुभाव निमन ह चिन्हींला 
तूँ बिन्हेलु घर आ हम ना बिन्हींला 

माई हईं पीर ई देल ओरात नइखे 
भोर करत हईं बात भोरात नइखे 

रहऽ सुख से रहऽ अब बिहँसऽ तूँ
हम सुखाईं भले बाकि लहसऽ तूँ
---------------------------
लेखक परिचयः
C/o डॉ नंद किशोर तिवारी
निराला साहित्य मंदिर बिजली शहीद
सासाराम जिला रोहतास ( सासाराम )
बिहार - 221115
मो 0 न 0 7488674912

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

मैना: भोजपुरी साहित्य क उड़ान (Maina Bhojpuri Magazine) Designed by Templateism.com Copyright © 2014

मैना: भोजपुरी लोकसाहित्य Copyright © 2014. Bim के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.