वनवासी के आकुलता - विद्या शंकर विद्यार्थी

बैन आवे ना चैन आवे, 
मनवा जानी अकुताइल बा
कवन राजा के सोहाइल ना, 
बेशी ई हुक धराइल बा ...।

पत्थल के कइसन जीव माई के 
दम लिहली ऊ जंगल पेठाई के 
कइसे के केहू माई अब मानीं, 
करनी से लोग घिनाइल बा, बैन...। 

ठेसो बा लागल काँटो बा गड़ल 
भगिया कइसे ना केहू हो पढ़ल 
रहल पानी कि गइल पानी, 
फूल सुघर ई कुम्हिलाइल बा,... ।

ओठो चिहिकल हो घाम बाटे 
धरती धिकल हो बरेआम बाटे 
हलकानी ऊपर हलकानी बा, 
रघुबर के का भाग लिखाइल बा,...।

सोची मत नाथ अनाथ के नाथ 
हमनी बानीं सँ रउरा जी साथ 
दिल में जगहा बा इहे जानी, 
माटी के कोठिला पराइल बा,...। 
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लेखक परिचयः
C/o डॉ नंद किशोर तिवारी
निराला साहित्य मंदिर बिजली शहीद
सासाराम जिला रोहतास ( सासाराम )
बिहार - 221115
मो 0 न 0 7488674912

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