पतई - सुभाष पाण्डेय
हमरा खातिर उज्जर दिनआ अँजोरिया रात का बा? हवा के झकोरा से उधियाइल माँटी में लसराइल ओही में समाइल माँटी में मिलि के माँटी बनि गइल माँटी खातिर...
हमरा खातिर उज्जर दिनआ अँजोरिया रात का बा? हवा के झकोरा से उधियाइल माँटी में लसराइल ओही में समाइल माँटी में मिलि के माँटी बनि गइल माँटी खातिर...
केतना दिन अउरी चलत रही चकरी। कूटि-पीसि खा गइनीं जिनिगी के सगरी। जोरत-अगोरत में थाती हेराइल तनमन के गरमी सब देखते सेराइल धार में चिन्हाइल ना,...
भदई के असरा प'फिरि गइल पानी, लउके ना बदरी के नाँवो-निसानी अबकी असढ़वा बिगरि गइल जतरा बरिसल ना रोहिनी बिराइ गइल अदरा परि गइल अझुरा में सउ...
जियरा धक-धक धड़क रहल बा फर-फर अंखियां फरक रहल बा देख-देख के दिन दशा मन होखत बा बेचैन मन बाटे बेचैन। आसमान झुकत बा जइसे लागत बा मनवा के अइसे ...
मय दुनियाँ में कवि जी अउवल कविता हउवे बात बनउवल। गढ़ीं भले कवनों परिभाषा मंच ओर तिकवत भरि आशा गोल गिरोह भइया दद्दा साँझ खानि के पूरे अध्धा। क...
बढ़ल महंगाई बाटे तनिको ना सोहाता। जातिये धरम पर खाली खतरा बुझाता॥ कहे खातिर पुरहर भइल बा विकास धरती पर कुछ्वु ना बाटे मय आकाश। जनता की अँखिया...
जिन दिन पाया वस्तु को तिन तिन चले छिपाय॥ तिन तिन चले छिपाय प्रगट में हो हरक्कत। भीड़-भाड़ में डरै भीड़ में नहीं बरक्कत॥ धनी भया जब आप मिली ह...
पंछी दूर ठिकाना बा। कहिया ले ई रात अन्हरिया बइटल हँसी उडाई कब विहान के झिलमिल रेखा सपना बन मुस्काई। कब ले धुन्ध छँटी जिनगी के कहँवा भोर सुहा...
बहुत काम बा अइसन जेवन लागे ना जरूरी देखला पऽ दूर से कब्बो बाकिर कइल बहुत जरूरी; जइसे झारलऽ पुरान कपड़ा जाड़ा में भा पपनी पर चढ़ल धूर! जेवन च...
हमरा मुँहवाँ से कुछुओ कहात नइखे जब ले मनवाँ के मीतवा लखात नइखे। पूछे राह-बाट के लोग कंठे बा कहिया से रोग अधिका गुङी साधि रहेंवाँ रहात नइखे। ...
साँवरी सुरतिया नाके नथिया सजधज भईल बा सिंगार तुलसी बाबा बाढ़ पउड़ी गईले राम लगवले बेड़ा पार। ...
के कहत बा इहाँ लोकतंत्र नइखे? हर समस्या के हल जोड़तंत्र नइखे॥ हर केहु के बा बस दूसरा के फिकर केहु नइखे करत आपन करिया जिकर। अपना इहाँ हट गइल द...
छोड़ा के हाथ जनि जाईं, अबे कुछ साँस बाकी बा। तनिक बिलमीं गजल गाईं, अबे कुछ साँस बाकी बा। अबे हठ बा निहारबि मौत के अपनी तबे जाइबि, विदा के गी...
आगे जाईं कि पिछे लखात नइखे, चुपे रहीं कि बोली बुझात नइखे। जमते जमतुआ जुगजितना भइल, हमरा जोडी़ के केहू भेंटात नइखे। जे बइठल बा उहे घवाहिल भइल...
जब भाषा गिरवी हो जाला सिंहासन के दरबार में, जब पापी के बचावे खातिर कलम चलेला अखबार में। जब सूरज उगे से पहिले उनका दफ्तर में जालन, लागे अइसे ...
जन्म लेते पूत के उछाह से भरेला हिय, गज भर होइ जाला फूलि के ई छतिया। पाल-पोस के बड़ा करेला लोग पूत के आ, नीमने से नीमने धरावे इसकुलिया। होखते ...
कुकुरन के बारात कुकुरन के बारात लेअइलऽ समधी तूँ सधुअइलऽ जूता पर नजर इहनिन के घाउंज तूँ करवइलऽ। कमे कुकुर बाड़न सन ई जवन टांग ना टारसन जगहा क...
सबके चाचा भईया कहएम दादा दादी फुआ कहएम हम बुरबक बानी बुरबक रहेम लोग कहेला ना जहिय बिहार जईब तऽ तु खईबऽ मार गोली बंदुक अउर गुंडा राज काहे ...
का हो बसंत भाई, ईहे होई ? जलचर थलचर नभचर सभमें पइसि पइसि के सभका के तू जगावेलऽ सुस्ती पस्तीआउर निराशा के तू दूर भगावेलऽ सूखल के हरियर क देलऽ...
१ गीत कवित हम का जानीं भइया पानी बिनु बे पानी जल, जंगल, जमीन से बेदखल खोजत बानीं पानी कहँवा गइल नदी सरोवर ? ई बता दऽ भइया। राज - पाट जेहि हा...