
बेचैन मन - गोपाल अश्क
जियरा धक-धक धड़क रहल बा फर-फर अंखियां फरक रहल बा देख-देख के दिन दशा मन होखत बा बेचैन मन बाटे बेचैन। आसमान झुकत बा जइसे लागत बा मनवा के अइसे ...
जियरा धक-धक धड़क रहल बा फर-फर अंखियां फरक रहल बा देख-देख के दिन दशा मन होखत बा बेचैन मन बाटे बेचैन। आसमान झुकत बा जइसे लागत बा मनवा के अइसे ...
मय दुनियाँ में कवि जी अउवल कविता हउवे बात बनउवल। गढ़ीं भले कवनों परिभाषा मंच ओर तिकवत भरि आशा गोल गिरोह भइया दद्दा साँझ खानि के पूरे अध्धा। क...
बढ़ल महंगाई बाटे तनिको ना सोहाता। जातिये धरम पर खाली खतरा बुझाता॥ कहे खातिर पुरहर भइल बा विकास धरती पर कुछ्वु ना बाटे मय आकाश। जनता की अँखिया...
जिन दिन पाया वस्तु को तिन तिन चले छिपाय॥ तिन तिन चले छिपाय प्रगट में हो हरक्कत। भीड़-भाड़ में डरै भीड़ में नहीं बरक्कत॥ धनी भया जब आप मिली ह...
पंछी दूर ठिकाना बा। कहिया ले ई रात अन्हरिया बइटल हँसी उडाई कब विहान के झिलमिल रेखा सपना बन मुस्काई। कब ले धुन्ध छँटी जिनगी के कहँवा भोर सुहा...
बहुत काम बा अइसन जेवन लागे ना जरूरी देखला पऽ दूर से कब्बो बाकिर कइल बहुत जरूरी; जइसे झारलऽ पुरान कपड़ा जाड़ा में भा पपनी पर चढ़ल धूर! जेवन च...
हमरा मुँहवाँ से कुछुओ कहात नइखे जब ले मनवाँ के मीतवा लखात नइखे। पूछे राह-बाट के लोग कंठे बा कहिया से रोग अधिका गुङी साधि रहेंवाँ रहात नइखे। ...
साँवरी सुरतिया नाके नथिया सजधज भईल बा सिंगार तुलसी बाबा बाढ़ पउड़ी गईले राम लगवले बेड़ा पार। ...
के कहत बा इहाँ लोकतंत्र नइखे? हर समस्या के हल जोड़तंत्र नइखे॥ हर केहु के बा बस दूसरा के फिकर केहु नइखे करत आपन करिया जिकर। अपना इहाँ हट गइल द...
छोड़ा के हाथ जनि जाईं, अबे कुछ साँस बाकी बा। तनिक बिलमीं गजल गाईं, अबे कुछ साँस बाकी बा। अबे हठ बा निहारबि मौत के अपनी तबे जाइबि, विदा के गी...
आगे जाईं कि पिछे लखात नइखे, चुपे रहीं कि बोली बुझात नइखे। जमते जमतुआ जुगजितना भइल, हमरा जोडी़ के केहू भेंटात नइखे। जे बइठल बा उहे घवाहिल भइल...
नेता जी सोमार के गाँव में वोट माँगे आवेवाला रहनीं। अतवारे के साँझि के नेता जी के खास पूरन घर-घर फूल के माला बाँटत रहलें। पूरन के गिनती गाँव ...
अंक के रचनाकार (मैना: वर्ष - 11 अंक - 122 (फरवरी-मई 2024)) संपादकीय काव्य कनक किशोर सुरेश कांटक विद्या शंकर विद्यार्थी आकाश महेशपुरी उदयशंकर...
मैना के दस बरिस ई बात 2013 के हऽ। ओह समय इन्टरनेट भोजपुरी भोजपुरी साहित्य कम उपलब्ध रहल। बेवसाइट के रुप में डॉ ओमप्रकाश जी शुरू कइल भोजपुरि...
डॉ सुनील कुमार पाठक भोजपुरी साहित्य के एगो सुपरिचित हस्ताक्षर हवें जे गद्य, पद के साथे भोजपुरी आलोचना के क्षेत्र में आपन बरियार उपस्थिति दर्...
जब भाषा गिरवी हो जाला सिंहासन के दरबार में, जब पापी के बचावे खातिर कलम चलेला अखबार में। जब सूरज उगे से पहिले उनका दफ्तर में जालन, लागे अइसे ...
गदराइल गेहूँ के खेत में, भा मसुरी-मटर के अगरात फूलवन के बीचे बा ऊँखि के जामत पुआड़ी के पोंछ पकड़ले भा अकेलहूँ अपना हरिहर देहिं पर पीअर अँचरा ल...