हमरा मुँहवाँ से कुछुओ कहात नइखे
जब ले मनवाँ के मीतवा लखात नइखे।
पूछे राह-बाट के लोग
कंठे बा कहिया से रोग
अधिका गुङी साधि रहेंवाँ रहात नइखे।
परदा माने ले ना आँखि
पिंजड़ा पीटे लागे पाँखि
तनिको धीर एह करेज से धरात नइखे।
लागेला थथमा के फेर
जागे ना सूतल जे टेर
सपना साँसति के अवहीं ले ओरात नइले
आई कहिया ले ऊ हूब
असली बात कहाइत खूब
सुनहींवाला कतो सुबहित भंटात नइले।
------------------------------
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें