जब भाषा गिरवी हो जाला सिंहासन के दरबार में,
जब पापी के बचावे खातिर कलम चलेला अखबार में।
जब सूरज उगे से पहिले उनका दफ्तर में जालन,
लागे अइसे कि जइसे देखि कुकुर पोंछ हिलावेलन।
जब त्याग समर्पण निष्ठा वाली बुद्धि सगरो से मर जाले,
छल से उनका मानअ जइसे खुदहि कलंकित हो जाले।
देश जरे फिर भी तोहके जब चुप्पी तोहार खलेला,
अत्याचारीन के खातिर मन में तोहार खीस भयंकर पलेला।
समझा जीयत तब अपना के भाई तू ए मायावी दरबार में
झूठ रोज सिखावे जवन आगी लगा द ओहि अखबार में।
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सुहानी राय
योग्यता - परास्नातक (शिक्षाशास्त्र)
मो. - 9151493745
जिला - बलिया (उत्तर प्रदेश)
मैना: वर्ष - 11 अंक - 122 (फरवरी-मई 2024)
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