के कहत बा इहाँ लोकतंत्र नइखे - अभय कृष्ण त्रिपाठी "विष्णु"

के कहत बा इहाँ लोकतंत्र नइखे?
हर समस्या के हल जोड़तंत्र नइखे॥

हर केहु के बा बस दूसरा के फिकर
केहु नइखे करत आपन करिया जिकर।
अपना इहाँ हट गइल दुसरका खुलल बा
ई करते ओकर सगरी दाग धुलल बा।
दे रहल बा नारा इहाँ फोड़तंत्र नइखे
के कहत बा इहाँ लोकतंत्र नइखे॥

सज रहल दुकान वक्त के पुकार बा
भोला चेहरा बाकि दिल में विकार बा,
एक तरफ रह के सुन रहल बा गाली,
पाला बदलते टिकट साथे बजत ताली,
गुनगुना रहल बानी कोढ़तंत्र नइखे
के कहत बा इहाँ लोकतंत्र नइखे॥

के कहत बा इहाँ लोकतंत्र नइखे?
हर समस्या के हल जोड़तंत्र नइखे॥
-----------------------------------
अभय कृष्ण त्रिपाठी "विष्णु"

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

मैना: भोजपुरी साहित्य क उड़ान (Maina Bhojpuri Magazine) Designed by Templateism.com Copyright © 2014

मैना: भोजपुरी लोकसाहित्य Copyright © 2014. Bim के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.