चुप्पे चोरी बदरा के पार से - प्रकाश उदय
उड़े खाती चिरईं के पाँख बुड़े खाती मछरी के नाक लेब उड़े-बुड़े कुछुओ के पहिले। चुप्पे-चोरी चारो ओरी ताक लेब चुप्पे चोरी बदरा के पार स...
उड़े खाती चिरईं के पाँख बुड़े खाती मछरी के नाक लेब उड़े-बुड़े कुछुओ के पहिले। चुप्पे-चोरी चारो ओरी ताक लेब चुप्पे चोरी बदरा के पार स...
आवत आटे सावन शुरू होई नहवावन भोला जाड़े में असाढ़े से परल बाड़ें एगो लांगा लेखा देह, रखें राखी में लपेट लोग धो-धा के उघारे पे परल बाड़े...
हउ देखऽ, धइलसआ माचिस में कइ देलस बंद अगिनदेव के।। देखऽ कि छँउकल आ धइ लेलस चान।। धइले बा अँगुरी के टिपला में बिजुरी के सब-सब टिपवान।। कि...
आजु मोरी घरनी निकरली मोरे घर से, मोरा फाटि गइले आल्हर करेज। राम नाम सत सुनि मैं गइलों बउराई, कवन रछसवा गइल रानी के हो खाई। सुखि गइलें आंसु...
राम बिन भाव करम नहिं छूटै। साथ संग औ राम भजन बिन, काल निरंतर लूटै। मल सेती जो मलको धोवै, सो मल कैसे छूटै। प्रेम का साबुन नाम का पानी, दीय ...
छुपवली उ काहे बतवली काहे ना। जे रहल मोहब्बत जतवली काहे ना॥ अँखिया से अँखिया मिलावत त रहली इशारा में हमके बोलावत त रहली पर उनकर इशारा ब...
देशवा के शान मोर तिरंगा हो भइया दुनिया में भारत के पहचान हो भइया देशवा के शान मोर तिरंगा हो भइया....... केसरिया रंगवा बलिदान के निसानी नीच...
बड़ा गर काटेला अरूई के पतई जइसे खजुहट पकड़ले होखे गरवा के भीतरी बुझाला कि कट जाई नटई बाकिर जब बेसन के साथ मिलेला मसाला के चटक से जब बनेला पक...
जोगियन से मठ भइल उजार तबहूँ चलत बिया सरकार॥ अझुरा के सझुरा न पावे लम्मा बइठल मुँह बिचुकावे भारी काम देखि अस कंउचे जइसे होखे बहुत बेमार॥ तब...
खोल द दुआर, भोर हो गइल। किरिन उतर आइल, आ खिड़की के फाँक से धीरे से झाँक गइल, जइसे कुछ आँक गइल, भीतर से बन्द बा केंवाड़ी त बाहर के साँ...
कथनी पर करनी फेरात नइखे, दिमाग गरम रह ता कबो सेरात नइखे, हर के दुगो बैल कइसे मान होइहें सन जब एगो बुढ़ गाई घेरात नइखे लोकतंत्र के मानी...
अझुराई तबे नू सझुराई अझुरइबे ना करी कुछू त कवन चीज केहू सझुराई! जवन चीज कबों अझुरइबे ना करी आ हरदम सझुरइले रही त ओकर अझुराइल-सझुराइल...
रजुआ क, तरजुई से कुछ तउलै कै मुनादी हौ बोले दs! कुछौ बोलै कै आजादी हौ॥ जात कै दोकान परजात कै दोकान लगवें सजल बाटे धरम कै मचान नोटा संगवे ब...
बूँद भर पानी के खातिर मन तरस के रह गइल उमड़ के आइल घटा हालत प हँस के रह गइल॥ जब कि पथरा गइल कब से ई नजरिया हार के आज उकठल काठ पर सावन ब...
हरदम हँसत अखियाँ के, तनी रोवल भी जरूरी बा !! बंजर खेत पे कब्ज़ा खातिर, बोवल भी जरूरी बा !! खाली आपन सोचेब त, एक दिन हो जाएम अकेला, अपना संग...
चढ़ल बाटे जबसे फागुन के मौसम बहे ला चारों ओर बसंती बयरिया। सजल बाटे सपना, लगल बाटे आशा हो अहिए सजनवां, रे अहिए सवारियां। बहुत दिन बीतल,...
घेंटा मिमोरत तोड़त – जोड़त आपन –आपन गावन अपने अभिनन्दन समझवनी के बेसुरा सुर बिना साज के संगीत साधना झाड़ झंखाड़ से भरल उबड़ खाबड़ बंजर जमीन ओकर ...
पहिले पहिले इस्कुले गईनी ऊ इस्कूल का रहे रहे एगो छोटहन बगईचा आवते मास्टर साहेब मंगले एगो बोरा पईंचा आपन बोरा दे के दूसरा के बेडिया करवनी प...
रजईयो रोवते कमरियो चिलाता। असो के ठंडा न रोकले रोकाता॥ सरदी से नट्टी भइल बाटे जाम। अखिआ तरस गइल देखे के घाम। असकत बा चपले ना हो ताटे काम। ...
जेठ आषाढ़ माह गरमी के दिनवा। मिले नाहीं ठोर कही टप टप चुएला पसीनवा। ठीक दुपहरिया माथे बरसेला अगिया , गाछ बिरिक्ष सूखे लागल सुरूज़ के धूपिया...