चढ़ल बाटे जबसे फागुन के मौसम
बहे ला चारों ओर बसंती बयरिया।
सजल बाटे सपना, लगल बाटे आशा
हो अहिए सजनवां, रे अहिए सवारियां।
बहुत दिन बीतल, बहुत रात बीतल
दिल में दबावल, बहुत बात बीतल
बीतल अब जाता जाड़ा के जड़ईयां
झूमि के कहे अब अमवां के मोजरियां
हो अहिए सजनवां, रे अहिए सवारियां।
कहवाँ निक लागे उ कोयल के बोली
देखी पूनम के चनवा लगे हिय गोली
कहे फूल सरसों ई गाछी पतईयां
उ भूसा भुसउला, कहे छानी मड़ईयां
हो अहिए सजनवां, रे अहिए सवारियां।
हो अहिए सजनवां, रे अहिए सवारियां।।
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बहे ला चारों ओर बसंती बयरिया।
सजल बाटे सपना, लगल बाटे आशा
हो अहिए सजनवां, रे अहिए सवारियां।
बहुत दिन बीतल, बहुत रात बीतल
दिल में दबावल, बहुत बात बीतल
बीतल अब जाता जाड़ा के जड़ईयां
झूमि के कहे अब अमवां के मोजरियां
हो अहिए सजनवां, रे अहिए सवारियां।
कहवाँ निक लागे उ कोयल के बोली
देखी पूनम के चनवा लगे हिय गोली
कहे फूल सरसों ई गाछी पतईयां
उ भूसा भुसउला, कहे छानी मड़ईयां
हो अहिए सजनवां, रे अहिए सवारियां।
हो अहिए सजनवां, रे अहिए सवारियां।।
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Subhakanksha mitrvar
जवाब देंहटाएंBhut sundar
जवाब देंहटाएंअति उत्तम
जवाब देंहटाएंमस्त
जवाब देंहटाएं