अरूई के पतई - केशव मोहन पाण्डेय

बड़ा गर काटेला
अरूई के पतई
जइसे खजुहट पकड़ले होखे
गरवा के भीतरी
बुझाला कि
कट जाई नटई
बाकिर जब बेसन के साथ मिलेला
मसाला के चटक से
जब बनेला पकौड़ी
तऽ ऊहे अरूइया
स्वाद के मोनिया लागेला
चटक चित्त के कऽ देला।

बात परोसला के बा
काहें कि
लोग तऽ बात-बात में
चुटकी लेला
गरीआवेला
बेभरमी जस
अपने खेला देखावेला
अरूइया जस
सबके
काहें ना स्वरूप बदलल आवेला
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लेखक परिचय:-
नाम - केशव मोहन पाण्डेय
2002 से एगो साहित्यिक संस्था ‘संवाद’ के संचालन।
अनेक पत्र-पत्रिकन में तीन सौ से अधिका लेख, दर्जनो कहानी, आ अनेके कविता प्रकाशित।
नाटक लेखन आ प्रस्तुति।
भोजपुरी कहानी-संग्रह 'कठकरेज' प्रकाशित।
आकाशवाणी गोरखपुर से कईगो कहानियन के प्रसारण, टेली फिल्म औलाद समेत भोजपुरी फिलिम ‘कब आई डोलिया कहार’ के लेखन अनेके अलबमन ला हिंदी, भोजपुरी गीत रचना.
साल 2002 से दिल्ली में शिक्षण आ स्वतंत्र लेखन.
संपर्क –
तमकुही रोड, सेवरही, कुशीनगर, उ. प्र.
kmpandey76@gmail.com

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