असो के ठंडा - दुर्गेश्वर राय

रजईयो रोवते कमरियो चिलाता।
असो के ठंडा न रोकले रोकाता॥

सरदी से नट्टी भइल बाटे जाम।
अखिआ तरस गइल देखे के घाम।
असकत बा चपले ना हो ताटे काम।
उजर भइल जाता देहिया के चाम।
सउसे दिनवा त राते बुझाता।
असो के ठंडा न रोकले रोकाता॥

लकड़ी के भूसी गोबर के गोईठा।
मकई के उकठा आ रहर के रहेठा।
बांस के कोइन धान के पुवरा।
शीशो के चइली जरअ ताटे दुवरा।
उंखी के पतई त खूबे झोंकाता।
असो के ठंडा न रोकले रोकाता॥

मालन के लेहना के गजन भइल बा।
उंखी के खेत में छिलनी कइल बा।
नरखा बा करिया लुंगी मइल बा।
तब जाके दु बोझा गेंड़ धइल बा।
आड़े बइठ के बस सूरती ठोकाता।
असो के ठंडा न रोकले रोकाता॥
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भोजपुरी साहित्य, Bhojpuri Sahitya, Bhojpuri Literature, Bhojpuri Magazine, भोजपुरी पत्रिका, Durgesgwar Raiलेखक परिचय:-
नाम: दुर्गेश्वर राय
ग्राम: सिसवा अव्वल
पोस्ट: बेदूपार
थाना: तरया सुजान
जनपद: कुशीनगर
सम्पर्क नम्बर: 9454046203, 8423245550
ईमेल: durgeshwarrai@gmail.com

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