छुपवली उ काहे बतवली काहे ना।
जे रहल मोहब्बत जतवली काहे ना॥
अँखिया से अँखिया मिलावत त रहली
इशारा में हमके बोलावत त रहली
पर उनकर इशारा बुझाइल ना हमरा
लजइली उ काहे समझवली काहे ना।
छुपवली उ काहे बतवली काहे ना॥
उ खिड़की से झांकल छत प से ताकल
देखी हमरा के उनकर शरमा के भागल
जमाना के डरे हम आगे ना अइनी
डेरइली उ काहे बोलवली काहे ना।
छुपवली उ काहे बतवली काहे ना॥
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जे रहल मोहब्बत जतवली काहे ना॥
अँखिया से अँखिया मिलावत त रहली
इशारा में हमके बोलावत त रहली
पर उनकर इशारा बुझाइल ना हमरा
लजइली उ काहे समझवली काहे ना।
छुपवली उ काहे बतवली काहे ना॥
उ खिड़की से झांकल छत प से ताकल
देखी हमरा के उनकर शरमा के भागल
जमाना के डरे हम आगे ना अइनी
डेरइली उ काहे बोलवली काहे ना।
छुपवली उ काहे बतवली काहे ना॥
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नाम: संदीप राज़ आंनद
संक्षिप्त परिचय-छात्र,स्नातक (हिन्दी साहित्य) इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय
प्रयागराज (उत्तरप्रदेश)
सम्पर्कसूत्र-7054696346
ग्राम-अहिरौली,पोस्ट-खड्डा
जनपद-कुशीनगर(उत्तरप्रदेश)
Osm keep it up
जवाब देंहटाएंHeart_touching❤❤
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा पढ के
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