निमन गीत लिखाऽ जाला - सुभाष पाण्डेय

तनिको भनक मिले अइला के, 

बगिया सजी फुलाऽ जाला। 
निमन गीत लिखाऽ जाला॥

सत- सत पोरसा मनवाँ कूदे, 
तन सम्हरे न सम्हारे। 
कोस- कोस पर डेग परेला, 
एकटक नयन निहारे। 
जरत रेत पर पीटि- पीटि के, 
बरखा नियर बुझाऽ जाला। 
निमन गीत लिखाऽ जाला

रोआँ-रोआँ पुलकित हो जा, 
चिन्ता-फिकिर बिलाला। 
निमन-बाउर, ऊँच- नीच सब, 
एक रङगे, रङ्गि जाला। 
जोस-होस से उड़ेला पंछी, 
धरती-नभ सजी नपाऽ जाला। 
निमन गीत लिखाऽ जाला

प्रान- प्रान, मुसकान सजा के, 
भरि लेला अँकवारी। 
अगुवानी के ठाढ़ धरतिआ, 
पेन्हि के सतरङ्ग सारी। 
चन्दा करे चाकरी तहरे, 
सूरूज सगुन सुनाऽ जाला। 
निमन गीत लिखाऽ जाला। 

बल, पौरूस, बिबेक, बुधि, बिद्या
धन, जजाति सब तहरे।
तू आ गइल$, सजी भेंटाइल,
जिनिगी में गह-गह रे।
हाथ जोरि अब माँथ झुकल बा,
गरवा लगे रून्हाऽ जाला।
निमन गीत लिखाऽ जाला।
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लेखक परिचय:-


नाम: सुभाष पाण्डेय
ग्राम-पोस्ट - मुसहरी
जिला-- गोपालगंज बिहार




अंक - 77 (26 अप्रैल 2016)

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