ठीक ना हऽ - सुभाष पाण्डेय

जे फूल से घाही हो ओपर
पत्थर बरिसावल ठीक ना हऽ।
मन सबके हऽ प्रभु के मन्दिर
मन्दिर भहरावल ठीक ना हऽ।

ई जिनिगी हऽ, ए जिनिगी में
कुछ मान मिली, अपमान मिली
अपमान- मान के चक्कर में
माँथा चकरावल ठीक ना हऽ।

बेरा अइले नवका- नवका
फल- फूल डाढ़ि पर लगि जाला
सगरे बा सोरि की किरिपा से
सोरी के सुखावल ठीक ना हऽ।

धन, धरती, महल, रसूख, रूप
सुख- सम्पति सब चरिदिना हऽ
ए चारि दिनन की चलती में
अदिमी के सतावल ठीक ना हऽ।
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Subhash Pandey सुभाष पाण्डेयलेखक परिचय:-
नाम: सुभाष पाण्डेय
ग्राम-पोस्ट - मुसहरी
जिला-- गोपालगंज बिहार

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