जे फूल से घाही हो ओपर
पत्थर बरिसावल ठीक ना हऽ।
मन सबके हऽ प्रभु के मन्दिर
मन्दिर भहरावल ठीक ना हऽ।
ई जिनिगी हऽ, ए जिनिगी में
कुछ मान मिली, अपमान मिली
अपमान- मान के चक्कर में
माँथा चकरावल ठीक ना हऽ।
बेरा अइले नवका- नवका
फल- फूल डाढ़ि पर लगि जाला
सगरे बा सोरि की किरिपा से
सोरी के सुखावल ठीक ना हऽ।
धन, धरती, महल, रसूख, रूप
सुख- सम्पति सब चरिदिना हऽ
ए चारि दिनन की चलती में
अदिमी के सतावल ठीक ना हऽ।
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पत्थर बरिसावल ठीक ना हऽ।
मन सबके हऽ प्रभु के मन्दिर
मन्दिर भहरावल ठीक ना हऽ।
ई जिनिगी हऽ, ए जिनिगी में
कुछ मान मिली, अपमान मिली
अपमान- मान के चक्कर में
माँथा चकरावल ठीक ना हऽ।
बेरा अइले नवका- नवका
फल- फूल डाढ़ि पर लगि जाला
सगरे बा सोरि की किरिपा से
सोरी के सुखावल ठीक ना हऽ।
धन, धरती, महल, रसूख, रूप
सुख- सम्पति सब चरिदिना हऽ
ए चारि दिनन की चलती में
अदिमी के सतावल ठीक ना हऽ।
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