एका (एकता) के अभाव - प्रिंस रितुराज दुबे

परसतुत लेख भोजपुरी के पहचान ना मिलला पर एगो लेख प्रिंस रितुराज लिखने बानी। एमे उहाँ के भोजपुरी के दासा खाती भोजपुरिया लोगन के दोसी पावत बानी। ई बात बहुत हद ले सही बा की आज भोजपुरी के इज्जत ना मिले के पीछे भोजपुरिया लोगन जे ढेर दोस बा औरी केहू ले। जले हम आपन इज्जत ना करब तले कईसे केहू हमार इज्जत करी।
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सबसे बड़हन सवाल इ बा की केतना लोग आपन मईभासा (भोजपुरी) के लेके एकजुट बा लो? केतना लो क आपन अस्तित्व से मतलब बा? 
केतना लो इ कह के निकल जाला की एकरा फेरा में पड़ के कऊनो खाए के मिले वाला बा। अगर इहे बात झारखण्ड में रहेवाला बंगाली सोचले रहतन त आज झारखण्ड के दूसरा भासा में उर्दू के साथे साथ बंगला ना शामिल भईल रहित। भोजपुरी भासा भासी से बहुत कम लोग बंगाली के झारखण्ड में रहेला एकरा बादो बंगाली के एका के नतीजा ह की आपन आन्दोलन से बंगाला के झारखण्ड के दूसरा भासा के दर्जा मिल गईल। एही चीज के कमी हमनी के भोजपुरी भासा भासी (यूपी,झारखण्ड,बिहार) के लोग में बा। हमनी के एकरा के नकार नईखी सकत।
पाकिस्तान आ बंगलादेस के मुदा के देखल जाव त इहे बात सामने आवता की बंगाली मुस्लमान (पूर्वी पाकिस्तान) के एका के चलते आज बंगलादेस अलगा देस बा, पाकिस्तान से हट के। भारत से अलगा होला के बाद पाकिस्तान में बगंला भासा के महता न दिहल जात रहे। पाकिस्तान सरकार के कहनाम रहे की हमनी के मुस्लमान हाई त हमनी के खली उर्दू के लेके चले होई। इहे बात पूर्वी पाकिस्तान (बंगाली मुस्लमान) के ठीक ना लागल उ लो के कहनाम रहे की हमनी के मातृभाषा बंगला ह भले हमनी के मुस्लमान हाई बाकिर पाकिस्तान में उर्दू के सघे सघे बंगला के महत्व देबे होई। बाकिर पाकिस्तान एकरा के ना मनलस आ बंगाली मुस्लमान आपन अलगा देश के गठन कईलन। आज उनकर अलगा पहचान बा।  
एगो वेब साईट के जरिये हमरा इ पता चलल बा की भोजपुरी के सहायक भासा मगही से ही बंगला भासा के जनम भईल बा। जब मगही से बंगला निकलल, ओ समय में बंगला कैथी लिपि में लिखल जात रहे। बाद में बंगला के अलगा लिपि के गठन भईल। आज सान से पश्चिम बंगाल(भारत) अऊर बंगलादेस में आपन सान से परचम लहरावता। 
अफ़सोस के बात इ बा की भोजपुरी भासा भासी के एतना बड़हन तादाद होला के बावजूदो भोजपुरी के ओकर आपन पहचान न मिल पावल। एकर सबसे बड़हन दोसी झारखण्ड,यूपी,बिहार के लोग बा। भोजपुरिया लोग आपन पहिचान के पहिचान नईखे पावत। एतना बड़ संख्या में बिधायक आ सांसद भोजपुरी भासा भासी क्षेत्र में बा लो एकरा बावजूदो भोजपुरी के अस्तित्व के बारे में कबो आवाज नईखे उठवले लो। 
फिल्म इंडस्ट्री भोजपुरी भासा के लोग तक पहुचावे में मुख्य भूमिका निभावले बा ताकी देस प्रदेस के लोग के दिमाग में ढुक पावे की भोजपुरी जइसन भासा बा भारत में। इ चीज के सबसे जादे आगे बढ़ावे में मनोज तिवारी ‘मृदुल’ जीं निअर कलाकारन के अहम भूमिका बा। अब मनोज जी दिल्ली में सांसद बन गईल बाड़े एकरा से उनसे कुछ जादे आस बा की कुछ भोजपुरी के सन्दर्भ में कुछु करिहे। एकरा से पाहिले सत्रुधन सिन्हा पटना साहिब से सांसद रहले बाकिर ओ समय में कांग्रेस सरकार भोजपुरी के राजनिति मुदा बना के रख देहलस। सत्रुधन सिन्हा संसद में भोजपुरी के लेके आवाज उठवले रहन बाकिर बिपक्षी दल के सांसद इ बात पर जोर न दिहल लो। नितीश सरकार में बिनय बिहारी बिधायक भोजपुरी के मामले में नितीश के जरिये कऊनो ठोस कदम ना उठवलन। कुछ लोग औरी कलाकार बाड़े जे खाली पईसा से मतलब राखेला आ टीवी स्क्रीन पर जनता के उलू बनावे खातिर भोजपुरी के पक्ष में बोले ला। गिनती बहुत बड़ बा औरी कुछ नाँवो बड़ बा। देखल गइल बा कि इ लोग भोजपुरी के फईलावे के काम कम औरी होर लागा के भोजपुरी लोकसंस्कृति में फुहरपन जादे भरले बा। 
जब इन्सान एकजुट होके कऊनो काम के करे ला त उ काम आसन हो जाला। बाकिर इहाँ त खाली बड़ बने के चकर बा। एहे देखल गइल बा कि हिंदी में असफलता के बादे भोजपुरिया लोग भोजपुरी कि ओर मूँह करेला औरी जदी हिंदी में उनकर अलगा पहचान रहित त उ भोजपुरी के पुछ्वो ना अईते। एकरो बड़ बेमारी बा आत्ममुग्धता के। भोजपुरी के केवनो कलाकार होखे गायक, अभिनेता, कबि चाँहे लेखक सब ए बेमारी से सब बेमार बा औरी होर लगवले बा कि हम बड़ तऽ हम बड़ऽ।
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लेखक परिचय:- 

नाम - प्रिंस रितुराज दुबे 
अंडाल, दूर्गापुर, पश्चिम बंगाल 
ई-मेल:- princerituraj@live.com
मो:- 9851605808

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