आप सभका खाती गुलरेज शहजाद जी के तीन गो कबिता परसतुत बाड़ी स जेवना में से दूगो गज़ल बा औरी एगो अभियान गीत। दूनो गज़ल जिनगी के बारे में कबि के मन खोलत बाड़ी स तऽ अभियान गीत वर्तमान सरकार से भोजपुरी के आंठवीं अनुसूची में लेबे खाती अपना अधिकार के बात करत बे। तीनो रचना बढिया बनल बाड़ी सऽ। चाहें गीत होखे आ गज़ल इन्हनी में बहाव बा जेवन पाठक के अपना संगे ले चले वाली बाड़ी सऽ। गज़ल "तनी मांतल जवानी के साजल करीं" तनी बड़ बे लेकिन बात ढेर कहे चाहत बे।
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अठवां अनुसूची में सामिल करे खातिर
अठवां
अनुसूची में सामिल करे खातिर
मान के अंचरा भोजपुरी पर धरे खातिर
काथी बा राउर बिचार
कहीं मोदी जी सरकार।
मान के अंचरा भोजपुरी पर धरे खातिर
काथी बा राउर बिचार
कहीं मोदी जी सरकार।
बात के पुआ बहुते पाकल अब त चेतीं
जे जाएज अधिकार बा अब हमनीं के दे दीं
ना त होखी आरे पार
कहीं मोदी जी सरकार।
जे जाएज अधिकार बा अब हमनीं के दे दीं
ना त होखी आरे पार
कहीं मोदी जी सरकार।
बाज गईल अब रणभेरी बा कमर कसाइल
ठीक ना होखी भिजपुरीयन बा अझुराईल
लाठी ठोकल बा तैयार
कहीं मोदी जी सरकार।
ठीक ना होखी भिजपुरीयन बा अझुराईल
लाठी ठोकल बा तैयार
कहीं मोदी जी सरकार।
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जिनगी तोहरा बिना
जिनगी
तोहरा बिना भकुआ गईल बा
ढंग जिए के सांचो भुला गईल ब॥
ढंग जिए के सांचो भुला गईल ब॥
रतिया नागिन नियन फुंफकारत बिया
मुंह सपनवा के अब पियरा गईल ब॥
मुंह सपनवा के अब पियरा गईल ब॥
तोहरा होखला से रहे जिए के लगन
आस तोहरा बिना ठकुआ गईल ब॥
आस तोहरा बिना ठकुआ गईल ब॥
करीं कतनो जतन कतहुँ लागे ना मन
भतरी कतना कुछो अझुरा गईल ब॥
भतरी कतना कुछो अझुरा गईल ब॥
खटिया आराम के टांग उठवले बा अब
चैन कोठी के कान्ही धरा गईल ब॥
चैन कोठी के कान्ही धरा गईल ब॥
तनी मांतल जवानी के साजल करीं
तनी मांतल जवानी के साजल करीं
फुटहा ढोलक नियन नाहीं बाजल करी॥
छूट
जाईं ना रउवा बहुत भीड़ बा
तनी
अपनो के रउवा पुकारल करी॥
मन
के कलसी पs
कुंठा के काई जमल
नेह
के लूंड़ा बान्हि के मांजल करी॥
चोख
होखे नाहीं दुनियादारी के रंग
नेह-नाता
के जामा खंघारल करी॥
चित
रहब रउवा कब ले उठीं झार के
खुद
अहम् के खलीफा पछाड़ल करी॥
कान
बाजत रही,ना सुना पाई कुछ
चदरी
रंग-राग के अब पसारल करी॥
बा
धरम-जात के अब अन्हरिया बढ़ल
दिल
के दियरी चहुँ ओर बारल करी॥
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लेखक परिचय:-
कवि एवं लेखक
चंपारण(बिहार)
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