उ लचार ईया जे, पिछला सोरह महीना से खाली हमरा आ हमरा मलकिन प निर्भर रहली!
सोरह महिना पहिले जब हम परिवार के संघे 15-20 दिन खातिर गॉव घूमे आइल रहनी। हमरी गाँवे चहुपल अभी दू दिन भइल रहे कि ओही दिन भिनसहरवें ईया दुवार प टहरला में गोड सरकल आ 85 बरिस से भी अधिक उमिर के ईया करिहाय के बल गिर गईली!
घरे पहिला उपचार के बाद तुरंते सदर अस्पताल ले गइल गइलीं त पता चलल कि करिहाय के हाड टूट गईल बा, अउरी लकडा के सहारे चले वाली ईया के अब केहू आपन के सहारा के जरूरत बा, हरमेश खातिर! मूवला दम ले!
घरे परिवार में कार-धार में अझुराइल लोगन के बीच हम आ हमार मलकिन ई जिमवारी उठवलीं जा!
खैर, हँसत खेलत कइसे सोरह मास बीत गइल अचको पते ना लागल आ एगो आजु के दिन बा, जइसे सगरो बतिये ऑखि के सोझा सलीमा (सिनेमा) लेखा घूम रहल बा ....
हम देखले रहलीं ओह बेबस ईया के, जे चलला में असमर्थ रहला पर भी अपना नाती पोता के उनका बजह से परसानी ना होखे सोंच के आपन दूबर पातर जरजर देहि के, लुका के चलवला के नकाम कोशिश करतऽ, आ पकडा गइला प जब हम डॉट दीं तऽ उनकर मासूम चेहरा जवन एकदम खामोश हो जात रहलऽ, आ कुछ देर बाद चाम झूलल चेहरा से हँसि के कहसऽ,
"चलऽ न जाए दऽ ए नाती, गलती हो गईल अब ना होखी"
शाइद उनका ई नीक ना लागत रहे कि उनका खातिर उनकर नाती-पोता परसान होखस!
बाकि ए ईया! तहरा का दूना पता रहे कि ना, कि हमनी के बहुत नीक लागत रहल तहार सेवा कइल! तु झुठहू परसान रहतऽ रहलू!
आजु भिनसहरे जब आँखि खुलल हऽ तऽ अपना कोठरी में बईठल कुछ लीखत रहनी कि अचके ईया के कोठरी से मलकिन के चिखला के आवाज आईल। उनकर चिलाइल सुनि के हिरदय बइठ गइल। दउर के कोठरी में चहुपलीं त ऑखि फाटल के फाटले रहि गइल। हरान रहि गइलीं। दिमाग काम कइल बंद कऽ देहले रहे!
उ दूबर पातर ईया के देह अब खाली "देह" रहऽ गइल रहल। परान ना रहल, ऑखि जइसे अभियो ओही मासूमियत से देख रहल बा, जइसे देखत रहल हमेशा हमरा डॉट लगवला पऽ! जइसे ईया आँखि से कह रहलऽ बाडी
"चलऽ न जाएदऽ ए नाती, गलती हो गईल अब ना होखी"
आजु बडी हताश बानी, मन बहुत उदास बा, बेरि-बेरि एकही चेहरा सोझा आ के खडा हो जात बा, ईया के।
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अनिरूद्ध शाह देवरिया
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