बरिज कन्हैया के तनिका ए मइया
मारले रंग पिचकारी।
एने से मारेले ओने बचाई
चारू ओरि रंगवा से दिहले भिंजाई
दिहले सुरतिया बिगारी।
भींजल देंहिया जो बाबा निरेखिहें
के ई कइल दुरगतिया ऊ पुछिहें
सोचिहें ना आगा-पिछारी।
कहतारे काल्हो जरूरे तू अइह
मन ना भरल फेरु रंग डलवइह
तोहरा प रंग बा उधारी।
सुनिके जसोदा जी मन मुसकानी
राधा-कन्हैया के प्रेम के कहानी
केकर मजाल जे सुधारी।
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मारले रंग पिचकारी।
एने से मारेले ओने बचाई
चारू ओरि रंगवा से दिहले भिंजाई
दिहले सुरतिया बिगारी।
भींजल देंहिया जो बाबा निरेखिहें
के ई कइल दुरगतिया ऊ पुछिहें
सोचिहें ना आगा-पिछारी।
कहतारे काल्हो जरूरे तू अइह
मन ना भरल फेरु रंग डलवइह
तोहरा प रंग बा उधारी।
सुनिके जसोदा जी मन मुसकानी
राधा-कन्हैया के प्रेम के कहानी
केकर मजाल जे सुधारी।
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लेखक परिचय:-
नाम: डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल
जन्म: बड़कागाँव, सबल पट्टी, थाना- सिमरी
बक्सर-802118, बिहार
जनम दिन: 28 फरवरी, 1962
पिता: आचार्य पं. काशीनाथ मिश्र
संप्रति: केंद्र सरकार का एगो स्वायत्तशासी संस्थान में।
संपादन: संसृति
रचना: ‘कौन सा उपहार दूँ प्रिय’ अउरी ‘फगुआ के पहरा’
ई-मेल: rmishravimal@gmail.com
नाम: डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल
जन्म: बड़कागाँव, सबल पट्टी, थाना- सिमरी
बक्सर-802118, बिहार
जनम दिन: 28 फरवरी, 1962
पिता: आचार्य पं. काशीनाथ मिश्र
संप्रति: केंद्र सरकार का एगो स्वायत्तशासी संस्थान में।
संपादन: संसृति
रचना: ‘कौन सा उपहार दूँ प्रिय’ अउरी ‘फगुआ के पहरा’
ई-मेल: rmishravimal@gmail.com
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