देश भइल निहाल देश भइल निहाल,
कइलें कमाल बलमुआ॥
मिग से खेदलें एफ सोलह के,
दागते गोला लागल उ लहके।
गलल नाहीं दुश्मन के दाल हो
गलल नाहीं दुश्मन के दाल हो।
कइलें कमाल बलमुआ॥
भारत के पगड़ी ऊपर कइलें,
शान से घरे शत्रु का समइलें।
बाँका नाहीं भइल तबो बाल हो
बाँका नाहीं भइल तबो बाल हो।
कइलें कमाल बलमुआ॥
बाला कोट में, मिराज जब गरजल,
तड़पल मूदई, पानी ला तरसल।
ढ़ेरे जाना भइलें हलाल हो
ढ़ेरे जाना भइलें हलाल हो।
कइलें कमाल बलमुआ॥
-------------------------------------------
कइलें कमाल बलमुआ॥
मिग से खेदलें एफ सोलह के,
दागते गोला लागल उ लहके।
गलल नाहीं दुश्मन के दाल हो
गलल नाहीं दुश्मन के दाल हो।
कइलें कमाल बलमुआ॥
भारत के पगड़ी ऊपर कइलें,
शान से घरे शत्रु का समइलें।
बाँका नाहीं भइल तबो बाल हो
बाँका नाहीं भइल तबो बाल हो।
कइलें कमाल बलमुआ॥
बाला कोट में, मिराज जब गरजल,
तड़पल मूदई, पानी ला तरसल।
ढ़ेरे जाना भइलें हलाल हो
ढ़ेरे जाना भइलें हलाल हो।
कइलें कमाल बलमुआ॥
-------------------------------------------
लेखक परिचय:-
नाम - दिलीप कुमार पाण्डेय
बेवसाय: विज्ञान शिक्षक
पता: सैखोवाघाट, तिनसुकिया, असम
मूल निवासी -अगौथर, मढौडा ,सारण।
मो नं: 9707096238
नाम - दिलीप कुमार पाण्डेय
बेवसाय: विज्ञान शिक्षक
पता: सैखोवाघाट, तिनसुकिया, असम
मूल निवासी -अगौथर, मढौडा ,सारण।
मो नं: 9707096238
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें