सखी, घरे मोरे अइने नंदलाल॥
खेलन को होरिया॥
हुलसत हियरा अँखियो मातल
सखी तलफत राधिका बेहाल॥ खेलन को होरिया॥
सखी, घरे मोरे अइने नंदलाल॥ खेलन को होरिया॥
रहिया निहारत भइल दुपहरिया
बुझत तानी कान्हा के चाल॥ खेलन को होरिया॥
सखी , घरे मोरे अइने नंदलाल॥ खेलन को होरिया॥
छेड़ छाड़ भा नयन मटक्का
मचलत मन बा निहाल॥ खेलन को होरिया॥
सखी, घरे मोरे अइने नंदलाल॥ खेलन को होरिया॥
एगो हाथ मे बा पिचुकारी
दूसरों मे रंग गुलाल॥ खेलन को होरिया॥
सखी, घरे मोरे अइने नंदलाल॥ खेलन को होरिया॥
भींजल अंगिया चुनर मोर उलझल
रंग दीहने मोर गाल॥ खेलन को होरिया॥
सखी, घरे मोरे अइने नंदलाल॥ खेलन को होरिया॥
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अंक - 72 (22 मार्च 2016)
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