फगुआ में मातेले जवान - डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल

फगुआ में मातेले जवान
हो लाला फगुआ में मातेले जवान।
आहे अंगना में सिलवा प भङिया पिसाला।

रंग में गोताला मएदान।
हो लाला रंग में गोताला मएदान।
आहे अबिर-गुलाल के बरखा बुझाला।

घर -घर पाके पकवान
हो लाला घर -घर पाके पकवान।
आहे छपनो बिंजन खाके फगुआ गवाला।

गमकेला सगरो सिवान
हो लाला गमकेला सगरो सिवान
आहे अतरे में बुढ़वो फगुनवा नहाला।
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लेखक परिचय:-
नाम: डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल
जन्म: बड़कागाँव, सबल पट्टी, थाना- सिमरी
बक्सर-802118, बिहार
जनम दिन: 28 फरवरी, 1962
पिता: आचार्य पं. काशीनाथ मिश्र
संप्रति: केंद्र सरकार का एगो स्वायत्तशासी संस्थान में।
संपादन: संसृति
रचना: ‘कौन सा उपहार दूँ प्रिय’ अउरी ‘फगुआ के पहरा’
ई-मेल: rmishravimal@gmail.com

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