बियहल तिरिया के मातल नयनवा, फगुनवा में॥
पियवा करवलस ना गंवनवा, फगुनवा में॥
सगली सहेलिया कुल्हि भुलनी नइहरा।
हमही बिहउती सम्हारत बानी अँचरा।
नीक लागे न भवनवा, फगुनवा में॥
पियवा .....
पियराइल सरसों मटरियो गदराइल।
फुलल पलास बा महुअवों अदराइल।
बदले लागल नजर जमनवा, फगुनवा में॥
पियवा ....
नाही सहाला अब भउजी क चिकोरी।
रही रह रिगावे हमरा धई बरजोरी।
बीख लागल सगरी कहनवा, फगुनवा में॥
पियवा ......
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अंक - 72 (22 मार्च 2016)
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