फागुन बाटे अगराइल - जयशंकर प्रसाद द्विवेदी

कुइयाँ मे भंगिया घोराइल सखि
फागुन बाटे अगराइल॥

महुआ प बाटे हो अमवा प बाटे
अमवा प बाटे, अमवा प बाटे
अरे तुलसी के चउरा रंगाइल सखि
फागुन बाटे अगराइल॥

कोइलर प बाटे हो पपिहा प बाटे
पपिहा प बाटे, पपिहा प बाटे
अरे सुगनो बा बउराइल सखि
फागुन बाटे अगराइ॥

नदियो पर बाटे इनरवो प बाटे
इनरवो प बाटे, इनरवो प बाटे
अरे छिछरी गड़हियों फ़फाइल सखि
फागुन बाटे अगराइल॥

सजनी प बाटे सजनवों प बाटे
सजनवों प बाटे, सजनवों प बाटे
अरे बुढ़वो बा मधुआइल सखि
फागुन बाटे अगराइल॥

कुइयाँ मे भंगिया घोराइल सखि
फागुन बाटे अगराइल॥
-----------------------------------
लेखक परिचय:-
नाम: जयशंकर प्रसाद द्विवेदी
संपादक: (भोजपुरी साहित्य सरिता)
इंजीनियरिंग स्नातक;
व्यवसाय: कम्पुटर सर्विस सेवा
सी -39 , सेक्टर – 3;
चिरंजीव विहार , गाजियाबाद (उ. प्र.)
फोन : 9999614657
ईमेल: dwivedijp@outlook.com
फ़ेसबुक: https://www.facebook.com/jp.dwivedi.5
ब्लॉग: http://dwivedijaishankar.blogspot.in

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

मैना: भोजपुरी साहित्य क उड़ान (Maina Bhojpuri Magazine) Designed by Templateism.com Copyright © 2014

मैना: भोजपुरी लोकसाहित्य Copyright © 2014. Bim के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.