चौधरी कन्हैया प्रसाद सिंह ‘आरोही’ जी से एगो छोट मुलाकात - जनकदेव जनक
विलक्षण प्रतिभा के धनी,यशस्वी आ ऊर्जावान साहित्यकार चौधरी कन्हैया प्रसाद सिंह ‘आरोही’ के, के नइखे जानत! आरोही जी विद्या दायिनी मां शारदे के ...
विलक्षण प्रतिभा के धनी,यशस्वी आ ऊर्जावान साहित्यकार चौधरी कन्हैया प्रसाद सिंह ‘आरोही’ के, के नइखे जानत! आरोही जी विद्या दायिनी मां शारदे के ...
चौधरी कन्हैया प्रसाद सिंह जी के चेहरा बिसरत नइखे। लागता हाले में उहाँसे मिलल रहीं। बहुत उमेदि रहे उहाँ से। अभी बहुत कुछ करेके रहे उहाँके। उम...
सन् 1979-80 के आसपास आरा शहर में बहुते सक्रियता, सरगरमी आ हलचल रहे; खलिसा साहित्ये ना, सियासतो के संसार में। एह छोटहन क़स्बाई शहर में सेना, ...
देश के आज़ादी के बाद भोजपुरी साहित्य के विकास में बहुत साहित्यकार लोगन के अनुपम योगदान बा जे सभे आपन कलम से लिखल के, सङ्गे सङ्गे दोसरो के कलम...
भोजपुरी खातिर आपन संपूर्ण जीवन नेवछावर कर देले रहीं चौधरी कन्हैया प्रसाद सिंह जी। भोजपुरी के नीने सूतत जागत रहीं। भोजपुरी के साहित्य के कइसे...
हमरा जइसन निपट सोझबक अदिमी का बिराट ब्यक्तित्व चौधरी कन्हैया प्रसाद सिंह 'आरोही" जी पर कुछुओ लिखल सूरुज के दीया देखलवला जइसन बा। ए ...
भोजपुरी साहित्य आ ओसे जुड़ल साहित्यकार लोग पर विचार करे पर अजीबोगरीब स्थिति से गुजरे के पड़ेला। अनेक साहित्यकार त कवनो एक विधा में लगातार सा...
बहुत कठिन काम हऽ आपन जन पर संस्मरण लिखल। ऊ काम अउर कठिन हो जाला जब संबंध लगभग चालीस साल पुरान होखे। दूर रहके भी संबंध बनावल राखल आ ओकरा के स...
बेबाक आ दू टूक बात करे वाला रहनी साहित्यकार चैधरी कन्हैया प्रसाद सिंह जी। उहाँ के मंच से बोलत जब सुनलीं तऽ मन में विचार आइल कि साहित्य सृजन ...
बनारस से प्रकाशित ‘भोजपुरी कहानियां’ के संयुक्तांक मई-जून, 1971 में हमार एगो कहानी ‘सगुन ना उठल’ छपल रहे। ओही संदर्भ में चौधरी कन्हैया प्रसा...
सत्य के धरातल ठोस होला, कठोरो होला ऐही से ना तरल जइसन बह जाला, ना आपन स्वभाव अउर स्वरूप जल्दी बदलेला। जीतो सत्य के ही होला ई सबकर अनुभव हऽ। ...
ऊ मई के दूपहरी रहे। हम भोजन करके आराम करत रहीं। अचके गेट खुलला के आवाज सुनिके गेट के ओर तकनी तऽ देखली कि एक आदमी पैन्ट-सर्ट पहिनले, हाथ में ...