आव आव बदरी आव।
झूम झूम पानी बरसाव॥
सागर से जल भरि लाव
आव बरीस लड्डू पाव,
झम झम जब बरसी पानी
सजी खेत चुनर से धानी,
अब भादो के मति तरसाव।
आव आव----पानी बरसाव॥
उपजी धान गेहूँ हरिआइ
चारो देने खुशियाँ छा जाइ,
खेती से जब घर भरि जाइ
दादी तोहरा के पुआ खिआइ,
आव बनि धरती के संघाती
एही खातीर हम भेजीं पाती,
अब ना तनिको देर लगाव।
आव आव----पानी बरसाव॥
उपजी सगरो बांगर खादर
करी सभे तोहरा के आदर,
लहरी तल तलैया खेत
होइ जब बदरा से भेंट,
चारो देने जब बरखा होइ
भारत से दु:ख चली पराइ,
भारत के खेतिहर खेत पटाव।
आव आव---पानी बरसाव॥
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झूम झूम पानी बरसाव॥
सागर से जल भरि लाव
आव बरीस लड्डू पाव,
झम झम जब बरसी पानी
सजी खेत चुनर से धानी,
अब भादो के मति तरसाव।
आव आव----पानी बरसाव॥
उपजी धान गेहूँ हरिआइ
चारो देने खुशियाँ छा जाइ,
खेती से जब घर भरि जाइ
दादी तोहरा के पुआ खिआइ,
आव बनि धरती के संघाती
एही खातीर हम भेजीं पाती,
अब ना तनिको देर लगाव।
आव आव----पानी बरसाव॥
उपजी सगरो बांगर खादर
करी सभे तोहरा के आदर,
लहरी तल तलैया खेत
होइ जब बदरा से भेंट,
चारो देने जब बरखा होइ
भारत से दु:ख चली पराइ,
भारत के खेतिहर खेत पटाव।
आव आव---पानी बरसाव॥
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