तनिका घुंघटा हटा दीं गज़ल लिख दीं
रउरा मुखड़ा के नाँव नीलकमल लिख दीं।
मुस्कुरा दीं तनिक अध खिलल कली अस
त एह अदा के नाँव ताजमहल लिख दीं।
अध खुलल आँख से तिरछे ताकीं तनिक
ताकि अमरित के गागर भरल लिख दीं।
ठाढ़ पल भर रहीं भर नजर त देख लीं
ए जहाँ के सबसे सुन्दर नसल लिख दीं।
मौन के अपना अतना बना दीं मुखर
प्यार के इयार मूरत असल लिख दीं।
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नाम:- डॉ. हरेश्वर राय
प्रोफेसर (इंग्लिश) शासकीय पी.जी. महाविद्यालय सतना, मध्यप्रदेश
बी-37, सिटी होम्स कालोनी, जवाहरनगर सतना, म.प्र.,
मो नं: 9425887079
royhareshwarroy@gmail.com
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