कइसे मनावल जाई फगुआ देवारी - डॉ. हरेश्वर राय

रोवतारे बाबू माई 
पुका फारि फारी,
बए क के कीन लेहलस 
पपुआ सफारी।

साल भर के खरची बरची
कहवाँ से आई, 
चाउर चबेनी के
कइसे कुटाई,
कइसे लगावल जाई 
खिड़की केवारी।

छठ एतवार कुल्ही
फाका परि जाई, 
बुचिया के कहवाँ से 
तिजीया भेजाई,
कइसे मनावल जाई 
फगुआ देवारी।

रांची बोकारो घूमी 
घूमि गाँवाँ गाँईं,
ललकी पगरिया बान्ही
भाईजी कहाई,
लफुअन से मिले खातिर 
जाई माराफारी।

चिकन मटन के संगे 
दारू खूब घोंकी, 
पी के पगलाई त 
कुकुर जस भोंकी,
कुरुता फरौवल करी
लड़ी फौजदारी।
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लेखक परिचय:-
प्रोफेसर (इंग्लिश) शासकीय पी.जी. महाविद्यालय सतना, मध्यप्रदेश
बी-37, सिटी होम्स कालोनी, जवाहरनगर सतना, म.प्र.,
मो नं: 9425887079
royhareshwarroy@gmail.com

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