आँखिन के अम्बर में, बाझ मेड़राता।
छातिन के धरती प, रेगनी फुलाता॥
गऊआं के पाकड़ प, बइठल बा गीध।
मुसकिल मनावल बा, होली आ ईद॥
खेतन में एह साल, फुटि गइल भुआ।
सहुआ दुअरिये प, बइठल बा मुआ॥
अदहन के पानी में, जहर घोराइल बा।
साँस लेल मुसकिल बा, हावा ओराइल बा॥
जीवन के डेंगी में, भइल बा भकन्दर।
लागता कि डूबी इ, बीचे समन्दर॥
चूर भइल सपना, भाग भइल घूर।
रोपतानी आम त, उगता बबूर॥
मू गइले बाबूजी, भइल ना दवाई।
माई के पिनसिन प, होता लड़ाई॥
बुचिया के आँखि में, माड़ा फुलाइल बा।
मेहरि के ठेहुन के, तेल ओरियाइल बा॥
बउआ हरेसवर जी, का का बताईं।
चारु ओरे फाटल बा का का सियाईं॥
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छातिन के धरती प, रेगनी फुलाता॥
गऊआं के पाकड़ प, बइठल बा गीध।
मुसकिल मनावल बा, होली आ ईद॥
खेतन में एह साल, फुटि गइल भुआ।
सहुआ दुअरिये प, बइठल बा मुआ॥
अदहन के पानी में, जहर घोराइल बा।
साँस लेल मुसकिल बा, हावा ओराइल बा॥
जीवन के डेंगी में, भइल बा भकन्दर।
लागता कि डूबी इ, बीचे समन्दर॥
चूर भइल सपना, भाग भइल घूर।
रोपतानी आम त, उगता बबूर॥
मू गइले बाबूजी, भइल ना दवाई।
माई के पिनसिन प, होता लड़ाई॥
बुचिया के आँखि में, माड़ा फुलाइल बा।
मेहरि के ठेहुन के, तेल ओरियाइल बा॥
बउआ हरेसवर जी, का का बताईं।
चारु ओरे फाटल बा का का सियाईं॥
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