थीर पानी में ढेला उछाले चलीं
कोना-सानी से जाला निकाले चलीं।
लिके - लीक कबहूँ सपूत ना चलस
राह सुन्दर बनाईं ऊँचा ले चलीं।
जदी अंगुरी अंगार से बचावे के बा
हाथ में मोट सिउँठा उठा ले चलीं।
अगर फूलहिं से पहिले चपाती फटे
मोट आटा के चलनी से चाले चलीं।
रात के मात देवे के बड़ुए अगर
अपना अँजुरी में सुरुज उठा ले चलीं।
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कोना-सानी से जाला निकाले चलीं।
लिके - लीक कबहूँ सपूत ना चलस
राह सुन्दर बनाईं ऊँचा ले चलीं।
जदी अंगुरी अंगार से बचावे के बा
हाथ में मोट सिउँठा उठा ले चलीं।
अगर फूलहिं से पहिले चपाती फटे
मोट आटा के चलनी से चाले चलीं।
रात के मात देवे के बड़ुए अगर
अपना अँजुरी में सुरुज उठा ले चलीं।
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