फुदुक चहके रे गौरैया - केशव मोहन पाण्डेय

फुदुक चहके ले गौरैया, हो रामा,
मोरा अँगनइया।
अगराइल मन ले बलैया, हो रामा,
मोरा अँगनइया।

पुहुप उगे नया पीपरा के डाढ़ी,
अनरा पर तने लागल फूलवा के साड़ी,
नीक लागे तनिको छैयाँ, हो रामा,
मोरा अँगनइया।

झीनी चुनरिया में लउके गोल नैना
रातरानी तहे-तह सजावेली रैना,
छछने मन-पनछुइया नैया, हो रामा,
मोरा अँगनइया।

मोती के मउनी जइसन तीसी पाके,
सोनवा जइसन मटर छिमी से झाँके,
गेहुँवा पर चढ़ल ललइया, हो रामा,
मोरा अँगनइया।

कंत किसनवा के चिंता करे मेहरी,
पिया बिना गेहुँआ से के भरी डेहरी,
धनि-धरती ले ली अँगड़इया, हो रामा,
मोरा अँगनइया।

मन के तपन में तन के झोहाड़ी,
मीत बिना के झोरी ऊँख के पुआड़ी,
मेहनत हउवे सबके दवाइया, हो रामा,
मोरा अँगनइया।
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लेखक परिचय:-
नाम - केशव मोहन पाण्डेय
2002 से एगो साहित्यिक संस्था ‘संवाद’ के संचालन।
अनेक पत्र-पत्रिकन में तीन सौ से अधिका लेख
दर्जनो कहानी, आ अनेके कविता प्रकाशित।
नाटक लेखन आ प्रस्तुति।
भोजपुरी कहानी-संग्रह 'कठकरेज' प्रकाशित।
आकाशवाणी गोरखपुर से कईगो कहानियन के प्रसारण
टेली फिल्म औलाद समेत भोजपुरी फिलिम ‘कब आई डोलिया कहार’ के लेखन
अनेके अलबमन ला हिंदी, भोजपुरी गीत रचना.
साल 2002 से दिल्ली में शिक्षण आ स्वतंत्र लेखन.
संपर्क –
पता- तमकुही रोड, सेवरही, कुशीनगर, उ. प्र.
kmpandey76@gmail.com

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