असरा - केशव मोहन पाण्डेय

आज मोर असरा पुराईं
हे माई,
दरस देखाईं।।

वीनवा के तनवा से शनवा बढ़ा दीं
हमरी ओरीआ नजरिया घुमा दीं
कबो मत मनवा बढ़ाई
हे माई,
दरस देखाईं।।

अमल-कमल मन राउर सिंहासन
हियरा के नियरा बनालीं आपन आसन
हमके छोड़ि कतहूँ न जाई
हे माई,
दरस देखाईं।।

विनती करेले राउर सुर-नर-ज्ञानी
हमरा से होइबे करीऽ माई नादानी
हो जाईं हमरा पर सहाई
हे माई,
दरस देखाईं।।

सुन लीं पुकार हे सुरसती मइया
हमरा पर राखी अपना अँचरा के छइया
हमरा घरे एको बेर तऽ आईं
हे माई,
दरस देखाईं।।
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असरा - केशव मोहन पाण्डेय लेखक परिचय:-
नाम - केशव मोहन पाण्डेय
2002 से एगो साहित्यिक संस्था ‘संवाद’ के संचालन।
अनेक पत्र-पत्रिकन में तीन सौ से अधिका लेख
दर्जनो कहानी, आ अनेके कविता प्रकाशित।
नाटक लेखन आ प्रस्तुति।
भोजपुरी कहानी-संग्रह 'कठकरेज' प्रकाशित।
आकाशवाणी गोरखपुर से कईगो कहानियन के प्रसारण
टेली फिल्म औलाद समेत भोजपुरी फिलिम ‘कब आई डोलिया कहार’ के लेखन
अनेके अलबमन ला हिंदी, भोजपुरी गीत रचना.
साल 2002 से दिल्ली में शिक्षण आ स्वतंत्र लेखन.
संपर्क –
पता- तमकुही रोड, सेवरही, कुशीनगर, उ. प्र.
kmpandey76@gmail.com

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