ए साँवरो - केशव मोहन पाण्डेय

हमहूँ तऽ तहरे पर लुभा गइनी
बेली जस फूलाऽ गइनी
अपना के भुलाऽ गइनी हो
ए साँवरोऽ
चाँन-सुरूज जइसन अँखिया से
हम भकुआऽ गइनी हो।

बतिया तहार जइसे चूवे मधु
अमवा मोजरिया से
महुआ के कोंचिया से हो
ए साँवरो,
हीरवा से जइसे हम छुआ गइनी
हमहूँ धधा गइनी
जिनगी लिखा गइनी हो।

बँसवा के लचकत कमनिया से
चाँन के चननिया से
तहरो बदनिया से हो
ए साँवरो,
नेहिया में हम चभोरा गइनी
अउरी अगरा गइनी
गंगा में नहाऽ गइनी हो।

हड़हुल के कोढ़िया से ओठवा
भेंवले होखे ओसवा
कलसा पर के कोसवा हो
ए साँवरो,
मनवा के तरवा हीला गइनी
रस छलका गइनी
दीयना जराऽ गइनी हो।

दूभिया पर ओस के सुरतिया
अँजोरिया के रतिया
नेहिया के बतिया हो
ए साँवरो,
अगीला जनम हम लिखाऽ गइनी
एही में बिला गइनी
सबके बता गइनी हो।
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ए साँवरो - केशव मोहन पाण्डेयलेखक परिचय:-
नाम - केशव मोहन पाण्डेय
2002 से एगो साहित्यिक संस्था ‘संवाद’ के संचालन।
अनेक पत्र-पत्रिकन में तीन सौ से अधिका लेख
दर्जनो कहानी, आ अनेके कविता प्रकाशित।
नाटक लेखन आ प्रस्तुति।
भोजपुरी कहानी-संग्रह 'कठकरेज' प्रकाशित।
आकाशवाणी गोरखपुर से कईगो कहानियन के प्रसारण
टेली फिल्म औलाद समेत भोजपुरी फिलिम ‘कब आई डोलिया कहार’ के लेखन
अनेके अलबमन ला हिंदी, भोजपुरी गीत रचना.
साल 2002 से दिल्ली में शिक्षण आ स्वतंत्र लेखन.
संपर्क –
पता- तमकुही रोड, सेवरही, कुशीनगर, उ. प्र.
kmpandey76@gmail.com

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