दोहा - केशव मोहन पाण्डेय

पानी अँखिया के मरल, बदलल जग के रीत।
लंपट ठाढ़ बुलंदी पर, पनिहर बा भयभीत॥1

बनि जाले जिनगी सहज, सुखदाई के इत्र।
मिलले अगर सुभाग से, एको मनगर मित्र॥2

चिरई चहके भोर में, करे जगत उजियार।
जइसे बेटी चहकि के, सुखद करें संसार॥3

जिनगी के दरियाव में, मन पुरइन के पात।
अरथ बुझे बिनु घाव दे, बात बात में बात॥4

जिनगी रोज पढ़ा रहल, डेग डेग पर पाठ।
ऊहे अरथ न बुझेला, जेकर जियरा काठ॥5
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लेखक परिचय:-
2002 से एगो साहित्यिक संस्था ‘संवाद’ के संचालन।
अनेक पत्र-पत्रिकन में तीन सौ से अधिका लेख
दर्जनो कहानी, आ अनेके कविता प्रकाशित।
नाटक लेखन आ प्रस्तुति।
भोजपुरी कहानी-संग्रह 'कठकरेज' प्रकाशित।
आकाशवाणी गोरखपुर से कईगो कहानियन के प्रसारण
टेली फिल्म औलाद समेत भोजपुरी फिलिम ‘कब आई डोलिया कहार’ के लेखन
अनेके अलबमन ला हिंदी, भोजपुरी गीत रचना.
साल 2002 से दिल्ली में शिक्षण आ स्वतंत्र लेखन.
संपर्क –
पता- तमकुही रोड, सेवरही, कुशीनगर, उ. प्र.
kmpandey76@gmail.com

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