टुटही पलानी - नूरैन अंसारी

जब-जब पढेनी हम बचपन के कहानी रे माई!!
बड़ा मन परे, आपन टुटही पलानी रे माई!!
चुए टिपिर-टिपिर बरखा में पानी रे माई!!
बड़ा मन परे ,आपन टुटही पलानी रे माई!!

जिनगी के केतना दिन बितल एकरा ओरा में
आन्ही-तूफान में,लुकाइसन जाके तोरा कोरा में
सगरी दुःख-दर्द के अभीनो बा निशानी रे माई!!
बड़ा मन परे आपन टुटही पलानी रे माई!!

रात भर नींद नाही आवे, धरकोसवा के हदासे
कबो खाईसन त, कबो सुत जाईसन उपासे
कबो भाग के सोयी सन अकेले, बथानी रे माई!!
बड़ा मन परे आपन टुटही पलानी रे माई!!

केतना हँसी -ख़ुशी रहे तब दुखो बेमारी में
आज चैन नइखे आवत बड़का कोठा-आमारी में
नईखे जात कबो घर से परेशानी रे माई!!
बड़ा मन परे आपन टुटही पलानी रे माई!!

देख लेहनी रही के मज़ा दिल्ली राजधानी में
मन करे लौट आई फिर टुटही पलानी में
सुनी सुत के तोहरा गोदिया में कहानी रे माई!!
बड़ा मन परे, आपन टुटही पलानी रे माई!!
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लेखक परिचय:-
नाम: नूरैन अंसारी
नोएडा स्थित सॉफ्टवेयर कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर
मूल निवास :ग्राम: नवका सेमरा
पोस्ट: सेमरा बाजार
जिला : गोपालगंज (बिहार)
सम्पर्क नम्बर: 9911176564
ईमेल: noorain.ansari@gmail.com

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