केतना बदल गइल बा गांव - नूरैन अंसारी

घर घर संस्कृति शहर वाली लागल पसारे पाँव
एसी-कूलर के हवा में दब गइल बरगद के छाँव
समय के संगे केतना बदल गइल बा गांव!

न रहल पुरनका लोग, न रहल बात पुरनका
किस्सा-कहानी बन गइल, सगरी चीज़ निमन का!

नवका फैशन में टूट गइल, सब लाज हया के डोर
भवे-भसुर, सास-ससुर के, रिश्ता भइल कमजोर!

मत पुछि त बढ़िया होइ, आज संस्कार के दशा
अब त लड़िका मारे बाप के, देखे लोग तमाशा!

केहु का कही के, मन से अब निकले लागल डर
गाव में बाबू जी से पहिले ही, बेटी खोज ले वर!

बदलल चाल-चलन के साथे, भेस भूषा पहनाव
इया,फुआ ,काका,काकी, बिसरल सगरी नाव
समय के संगे केतना बदल गइल बा गांव!

सोहर, झूमर होरी के लोग, भूल गइल बा गीतिया
छूछे- छूछे बीत जाले छठ ,पीढ़िया,खर-जीवितिया!

बिरहा ,निर्गुन, चइता त सुने के खूब मन तरसे
बाकिर अपने में बेसास लोगवा निकले नहीं घर से!

प्रेम अउर भाईचारा में, हाकल डाइन लागल
दोसरा के देख के जरे के डाह मन में जागल!

पहिले जेकर बतिया मन, में मिसरी के रस घोले
अब पता ना उहे लोगवा, काहे तुरहा जइसन बोले!

पर्व त्योहार में भी नइखे,अब पहिले जइसन भाव
बिना मूँछ के लोगवा, मूँछ पर फेरत बाटे ताव
समय के संगे केतना बदल गइल बा गांव!

कट गइल सगरी बाग-बगीचा, मुस्मात भइल फुलवारी
शहर में बसे के सबके, धइले बा घनघोर बीमारी
सुख गइल सगरी पोखरा-इनार, नहर भइल बियाबान
अपना दशा पर फफक- फफक के रोअत बा खलिहान!

गांव के लोगवा के ही आपन गांव ना निमन लागे
खीर-पूड़ी, के छोड़ के लोगवा पिज़्ज़ा के पीछे भागे!

मट्ठा-छाछ के जगे पिये लोग पेप्सी कोला ठंडा
क्रिकेट के आगे मुहधोआ, हो गइल बा गुलीडंडा!

पिछला एक दसक में भइया, गज़ब भइल बा बदलाव
डिजिटल दुनिया के पड़ल बा, बहुत गहरा प्रभाव
समय के संगे केतना, बदल गइल बा गांव!
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नूरैन अंसारीलेखक परिचय:-
नाम: नूरैन अंसारी
नोएडा स्थित सॉफ्टवेयर कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर
मूल निवास :ग्राम: नवका सेमरा
पोस्ट: सेमरा बाजार
जिला : गोपालगंज (बिहार)
सम्पर्क नम्बर: 9911176564
ईमेल: noorain.ansari@gmail.com

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