
चढु-चढु ए सुगना गगन गम्हीर - लछिमी सखी
चढु-चढु ए सुगना गगन गम्हीर॥ उ जे सीतल मंद सुगंध समीर। जाहाँ झर-झर बहत धीरे धीर॥ चलु सखी पनिया भरि लेहु नीर। सुखमन संगम सरयुग तीर॥ ससुरा से...
चढु-चढु ए सुगना गगन गम्हीर॥ उ जे सीतल मंद सुगंध समीर। जाहाँ झर-झर बहत धीरे धीर॥ चलु सखी पनिया भरि लेहु नीर। सुखमन संगम सरयुग तीर॥ ससुरा से...
भइया मलहवा रे, कवने घटिया लागी नइया मोर॥ नदिया अगम लागे, सघन सेवार आगे, भइया मलहवा रे, कतहीं ना लउकत बाटे छोर। भइया मलहवा रे, कवने घटि...
मोहि न भावै नैहरवा ससुरबा जइबों हो॥ नैहर के लोगवा बड़ अरिआर। पिया के बचन सुनि लागेला बिकार॥ पिया एक डोलिया दिहल भेजाय। पाँच...
ठनगन समधी नाधि के, बकें अण्ट के पण्ट। बेटिहा भेजले अन्त में, लट्ठद्धर कुछ लण्ठ॥ लट्ठद्धर कुछ लण्ठज्जबर, गरज्जद्धरधर। धद्धग्गरदन चच्चच्...
बूझो पंडित ब्रह्म गियानम, गोरष बोलै जाण सुजानम। बीज बिन निसपती मूल बिन विरषा पान फूल बिन फलिया, बाँझ केरा बालूड़ा प्यंगुला तरवरि चढ़ि...
अबरी के बार बकस मोरे साहेब। जनम-जनम कै चेरि हे॥ चरन कमल मैं हृदय लगाइब। कपट कागज सब फाड़ि हे॥ मैं अबला किछुओ नहीं जानौं। परपंचन के स...
डोले चइत-बइसखवा पवन, हंसि मारे अगिनिया के बान….. धरती के जैसे ढरकलि उमिरिया, तार-तार हो गइली धानी चुनरिया, कुम्हला गइल फूलगेनवा बदन…...
बहुत भइल काम अब आराम करे दऽ। बहुत भइल नाम अब गुमनाम रहे दऽ। रहल ना रिस्ता, काम का नाम से। हो रहल बा नाम, सगरे बदनाम के। उसकावऽ मत अतीत क...
लुटा दिहल परान जे, मिटा दिहल निसान जे। चढ़ा के सीस देस के, बना दिहल महान जे ॥1॥ जने-जने जगा गइल, नया नसा पिला गइल। जला-जला सरीर के, स्वदेस...
लुटा दिहल परान जे, मिटा दिहल निसान जे। चढ़ा के सीस देस के, बना दिहल महान जे॥ जने-जने जगा गइल, नया नसा पिला गइल। जला-जला सरीर के, स्व...
आगि लागे बनवा, जरे परबतवा मोरे लेखे हो साजन जरे नइहरवा। आवऽ आवऽ बभना, बइठु मोरा अँगना साचि देहु ना मोरे गुरु के आवनवा। जिन...
मूस बनवलस पापी पूस। पाईं कहाँ रजाई धूस॥ दुनियाँ भर से गरमी गइल। हाँथ-गोड़ सब सन्न भइल ॥ सूरज तक ले आज सेराइल। का होखो घा...
आइल सुराज बा सही सुनात बात कान में । न आँखि से देखात बा न आवेत बा ध्यान में ।। सुराज ना देखात बा जवार में पथार में । न ढाब ढाठ भाठ म...
उठेला करेजवा में पीर बारी धनियां उठेला .......... । तोहरे कारन गोरी घर बार छोड़लीं छोडलीं नगरिया के लोग ओही कलकतवा के छोड़लीं नोक...
काँट –कुश से भरल डगरिया, धरीं बचा के पाँव रे माटी ऊपर, छानी छप्पर, उहे हामरो गाँव रे….. चारों ओर सुहावन लागे, निर्मल ताल-तलैया, अम...
दुखियन के तन-मन-प्रान चलल। जब तीस जनवरी जाति रहलि, सुक के संझा मुसुकाति रहलि। दिल्ली में भंगी बस्ती के, धरती मन में अगराति रहलि॥ ज...
राम नाम प्रेम से पीय मोर भाई। साधु के मठिया प्रेम के हटिया, उहँईं बइठीह जाई॥ राम नाम रस चुवत होइहें, डाक से अमल होई जाई। ब्रह्मा...
केऊ ना जाई संग साथी बन्दे ! केऊ॥ जइसे सती हँसकर बन्दे, ऊ काया जल जाती दिन चार राम केऊ भजिले, बान्ह का ले जइबऽ गाँठी॥ भाई-भतीजा...
केहू-केहू का होखे राम नाम के चरचा । कहीं-कहीं चढ़ल बाटे घरे-घरे घरे-चरचा, केहू-केहू का, जोड़ाता रात-दिन के खरचा। घोंसरिये म...
आजु मोरी घरनी निकरली मोरे घर से, मोरा फाटि गइले आल्हर करेज। राम नाम सत सुनि मैं गइलों बउराई, कवन रछसवा गइल रानी के हो खाई॥ ...