बकस मोरे साहेब - दरिया साहेब



अबरी के बार बकस मोरे साहेब। जनम-जनम कै चेरि हे॥
चरन कमल मैं हृदय लगाइब। कपट कागज सब फाड़ि हे॥
मैं अबला किछुओ नहीं जानौं। परपंचन के साथ हे॥

पिया मिलन बेरी इन्ह मोरा रोकल। तब जीव भयल अनाथ हे॥
जब दिल में हम निहचे जानल। सूझि परल हम फंद हे॥
खूलल दृष्टि दिया मनि लेसल। मानहुँ सरद के चंद हे॥
कह दरिया दरसन सुख उपजल। दुख-सुख दूरि बहाय हे॥
----------------------------------------------------- 
दरिया साहेब
अंक - 87 (5 जुलाई 2016)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

मैना: भोजपुरी साहित्य क उड़ान (Maina Bhojpuri Magazine) Designed by Templateism.com Copyright © 2014

मैना: भोजपुरी लोकसाहित्य Copyright © 2014. Bim के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.