आगि लागे बनवा, जरे परबतवा
मोरे लेखे हो साजन जरे नइहरवा।
आवऽ आवऽ बभना, बइठु मोरा अँगना
साचि देहु ना मोरे गुरु के आवनवा।
जिन्हि सोचिहें मोरा गुरु के अवनवा
तिन्हें देबों ना साजन ग्यान के जतनवा।
नैना भरि कजरा, लिलार भरि सेनुरा
मोरा लेखे सतगुरु भइले निरमोहिया।
सिरी भिनक राम स्वामी गावले निरगुनवा
धाई धरबों हो साधु लोग के सरनवा।
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लेखक परिचय:-
नाम: स्वामी भिनक राम जी
जनम थान: चम्पारण, बिहार
अंक - 83 (7 जून 2016)
आपसे निवेदन बा कि सब कविता आ पद के अर्थ के भी बताई।
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