डोले चइत-बइसखवा पवन,
हंसि मारे अगिनिया के बान…..
धरती के जैसे ढरकलि उमिरिया,
तार-तार हो गइली धानी चुनरिया,
कुम्हला गइल फूलगेनवा बदन…..
दिनवा त दिनवा विकल करे रतिया,
चांदनी के छन-छन जस लागे छातिया,
कांपेला भोरहीं सुरुज से गगन…….
तलवा-तलैया के जियरा लुटाइल,
केकरो विरह नदिया दुबराइल,
पंछी पियासा के तड़पेला मन…
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हंसि मारे अगिनिया के बान…..
धरती के जैसे ढरकलि उमिरिया,
तार-तार हो गइली धानी चुनरिया,
कुम्हला गइल फूलगेनवा बदन…..
दिनवा त दिनवा विकल करे रतिया,
चांदनी के छन-छन जस लागे छातिया,
कांपेला भोरहीं सुरुज से गगन…….
तलवा-तलैया के जियरा लुटाइल,
केकरो विरह नदिया दुबराइल,
पंछी पियासा के तड़पेला मन…
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लेखक परिचय:-
नाम: भोलानाथ गहमरी
जनम: 19 दिसंबर 1923
मरन: 2000
जनम असथान: गहमर, गाजीपुर, उत्तरप्रदेश
परमुख रचना: बयार पुरवइया, अँजुरी भर मोती और लोक रागिनी
जनम: 19 दिसंबर 1923
मरन: 2000
जनम असथान: गहमर, गाजीपुर, उत्तरप्रदेश
परमुख रचना: बयार पुरवइया, अँजुरी भर मोती और लोक रागिनी
अंक - 87 (5 जुलाई 2016)
Bahut sundar
जवाब देंहटाएंNaman bhojpuri lokgeet ke aadhar stamb
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