राम नाम प्रेम से पीय मोर भाई।
साधु के मठिया प्रेम के हटिया, उहँईं बइठीह जाई॥
राम नाम रस चुवत होइहें, डाक से अमल होई जाई।
ब्रह्मा विस्नु-सिव रस पियले, तीनु जना पवले बड़ाई॥
कागभुसुंडी गरूर रस पीयले, सेहु अमर पद पाई
नानक, दरिया, दास कबीरा पीयले, पीयाला जाई॥
धोई-धाई सूर-तुलसी पीयले, सेहु अमर पद पाई।
‘देवदत्त’ गरजी खूब करे अरजी, बहुत प्रकार समुझाई॥
---------------------------------
लेखक परिचय:-
नाम: संत देवदत्त
जन्म थान: बिनपुरा, गउरा, सारन, बिहार
अंक - 79 (10 मई 2016)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें